What is pranayama-प्राणायाम कैसे करें

Pranayam
Pranayam

प्राणायाम कैसे करें-नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे प्राणायाम के बारे में प्राण एक जीवन पूजा है एक शक्ति है जिससे यह पूरा सृष्टि क्रम चल रहा है जिस प्रकार से आग के संपर्क में आने पर सोना चांदी जैसे धातुओं के मल शुद्ध हो जाते हैं उसी प्रकार से मनुष्य जब प्राणायाम करता है तो उसकी इंद्रियां शुद्ध हो जाती हैं

Pranayam in Hindi

सामान्य रूप से प्राण को साँस और प्राणायाम को शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने का और फेफड़ों को बल प्रदान करने का अभ्यास समझा जाता है बेशक इससे यह लाभ प्राप्त होते हैं परंतु यह प्राणायाम का वास्तविक स्वरूप नहीं है

प्राणायाम का अर्थ(Pranayam Meaning)

प्राणायाम क्या है इसका अर्थ क्या होता है इसका वास्तविक स्वरूप क्या है यह जानने के लिए इसके शब्दों का अर्थ जानना आवश्यक है तो प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण और आयाम

प्राण का विवरण | Understanding prana

Pranayam steps
Pranayam steps

प्राणायाम को जानने से पहले प्राण को जानना बहुत आवश्यक है कि प्राण क्या है क्योंकि सामान्य रूप से प्राण को सांस समझा जाता है या सांसो को प्राण की संज्ञा दी जाती है परंतु यह दोनों अलग-अलग हैं प्राण एक जीवन ऊर्जा है एक शक्ति है जिससे यह पूरा सृष्टि कर्म चल रहा है अब इसको थोड़ा सा गहराई से समझना पड़ेगा

सृष्टि के आदि और अंत में सभी पदार्थ सृष्टि के आदि काल में सभी पदार्थ तीन प्रकार के पदार्थ होते हैं ठोस(solid) तरल(liquid) और वॉच(gas) यह सभी पदार्थ आकाश से प्राण ऊर्जा पाकर एक भौतिक रूप में आते हैं प्राण ऊर्जा का आश्रय लेकर ही जीवन भर अपना कार्य करते हैं और प्रलय काल के समय प्राण ऊर्जा का अभाव होने के कारण अपने कारण स्वरूप में जाकर विलीन हो जाते हैं |

इस प्रकार से यह पूरी सृष्टि का क्रम चलता है पेड़ पौधे सभी जीव जंतु मनुष्य का जीवन यह सभी प्राण ऊर्जा के ऊपर निर्धारित हैं प्राण ऊर्जा का आश्रय लेकर हमारा जीवन सभी योनियों का जीवन चलता है और प्राण ऊर्जा का अभाव होने के कारण हमारे इस शरीर का और समस्त योनियों का विलय हो जाता है या विनाश हो जाता है

सृष्टि में वायु चल रही है जल बह रहा है पेड़ पौधे बढ़ रहे हैं मनुष्य का जीवन चल रहा है इन सब के पीछे जो एक ऊर्जा कार्य कर रही है उसको कहा जाता है प्राण ऊर्जा या वह है प्राण ऊर्जा इस प्रकार से पूरी सृष्टि का एक क्रम चलता है अब यदि इसको हम अपने शरीर पर समझे कि हमारे शरीर में प्राण क्या कार्य करता है या कैसे कार्य करता है या उसका कार्य क्या है तो पहले हमें अपने शरीर को समझना होगा !

मानव शरीर के विभिन्न अंग तंत्र

हमारे शरीर के अंदर कई सारे तंत्र होते हैं skeletal system, muscular system, lymphatic system, respiratory system, digestive system, nervous system, endocrine system, cardiovascular system, urinary system, and reproductive systems.इस प्रकार के कई सिस्टम होते हैं

शरीर का निर्माण कैसे होता है

बहुत छोटे छोटे तत्व मिलकर एक सेल का निर्माण करते हैं कई सारे सेल्स मिलकर एक टिशू का निर्माण करते हैं कई सारे टिशु मिलकर एक ऑर्गन का निर्माण करते हैं एक अंग का कई सारे अंग मिलकर और ऑर्गन मिलकर एक सिस्टम का निर्माण करते हैं और कई सारे सिस्टम मिलकर एक बॉडी का एक शरीर का निर्माण करते हैं

शरीर को ऊर्जा कैसे मिलती है

हमारे शरीर में विभिन्न अंग अपना अपना कार्य करते हैं इन सब अंगों को जो ऊर्जा प्रदान होती है या जो ऊर्जा मिलती है वह मिलती है रक्त से हमारे ब्लड से पूरे शरीर में रक्त संचालित होता है ब्लड सरकुलेशन होता है यदि यहां पर हम जोर से दबा दें या पट्टी बांधे तो हाथ से नीचे यहां पर रक्त का संचालन बंद हो जाएगा और यह अंग कार्य करने बंद कर देंगे सुन हो जाएंगे तो अंगों को जो ऊर्जा मिलती है |

वह रक्त से मिलती है ब्लड से ब्लड को जो ऊर्जा मिलती है रक्त को जो ऊर्जा मिलती है वह ऑक्सीजन से मिलती है और ऑक्सीजन हमारे शरीर में तब आती है जब हम नासिका के द्वारा सांस फेफड़ो के अंदर भरते हैं और शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ देते हैं यह एक हमारे शरीर का क्रम है

प्राणायाम की परिभाषा

प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण और आयाम और उनको नियंत्रित करने का अर्थात आयाम का जो अर्थ होता है वह होता है उन को नियंत्रित करना तो दोस्तों प्राणों को नियंत्रित करने की जो प्रक्रिया होती है उसे प्राणायाम कहते हैं और प्राणायाम के द्वारा हम अपने प्राणों पर नियंत्रित करते हैं और प्राण हमारे मन से संबंधित होते हैं और जब प्राणों को नियंत्रित कर लेते हैं प्राणों पर पूर्णतया संयम आ जाता है जब हम प्राणों पर पूर्णतया संयम प्राप्त कर लेते हैं तब मन पर भी नियंत्रण हो जाता है और जब मन पर नियंत्रण हो जाता है

मन से जुड़े हुए हमारे जो भी विचार हैं जो भी क्रियाएं हैं जो हमारे दिनचर्या में हमारे जीवन में जो सभी कार्य होते हैं वह हमारे मन के द्वारा ही संपन्न होते हैं हम जो भी कार्य करते हैं उससे पहले उस कार्य की रूपरेखा है हम अपने मन में बनाते हैं तो जो भी सही कार्य है या गलत कार्य है उसको सुव्यवस्थित करने का और सही तरीके से करने का जो कार्य है वह मन के द्वारा होता है और हम मन के अधीन होते हैं इस वजह से मन हमे अनेकों ऐसी क्रियाओ में ले जाता है जो हमारे लिए सही नहीं होती है और हम कभी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते हैं

इस वजह से हमें अपने प्राणों से हमारे मन तक और मन से विचारों को शुद्ध करना होता है जब प्राण , मन ,शरीर आत्मा और सभी को शुद्ध कर लेते हैं तब जो हमारी जो भी क्रियाएं हैं उन पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं और तब हम अपने जीवन को एक के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर ले जाते हैं!

हमारे जीवन के और हमारे मन में और हमारे शरीर के अंदर और हमारे मस्तिक के अंदर ऐसी बहुत सारी क्षमताएं हैं जिनके बारे में हम अभी तक नहीं जानते हैं हम अपनी मस्तिक क्षमताएं के बारे में 5% से भी कम जानते हैं और जो बड़े-बड़े विद्वान हैं जो योगी पुरुष हैं या बड़े बड़े वैज्ञानिक है वह भी लगभग 6 से 7% ही अपनों मस्तिक की क्रियाएं को जान पाए हैं इसलिए हमें अपने मन को नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम करना चाहिए!

दोस्तों प्राणायाम का अर्थ है हमारे प्राणों पर पूर्णतया नियंत्रण प्राप्त करना और प्राणायाम के अंदर बहुत सारी विधिया होती है जैसे कपालभाति अनुलोम विलोम भस्त्रिका प्राणायाम है भ्रामरी प्राणायाम है और सूर्य प्राणायाम इसी प्रकार अनेक प्राणायाम होते हैं |

उनके द्वारा अपने शरीर को निरोग और दिव्य बनाते है तो दोस्तों इस तरह का प्राणायाम होता है और इनसे सभी शरीर में मौजूद सभी प्राणों को नियंत्रित करते हैं और प्राण ही हमारे शरीर में गति प्रदान करते हैं जो भी हमारा ब्लड सरकुलेशन है या तंत्रिका तंत्र की जो भी क्रियाएं हैं या मस्तिक के अंदर जो विचार का आवा गमन है और इसके अलावा जो भी क्रियाएं होती हैं वो सारी क्रियाएं प्राणों से ही नियंत्रित होती है

प्राण का अर्थ ये नहीं है की वह कोई वायु है या जो हम साँस लेते है वह प्राण है प्राण का अर्थ यह की हमारे शरीर में जो 72000 नाडिया है उनके अंदर प्रवाहित होता है और इसी के द्वारा जो शक्ति मिलती है जिससे हमारे शरीर का संचालन होता है

अगर प्राण हमारे शरीर में क्षीण होने लग जाए तो हमारे शरीर की जो जीवन शक्ति असंतुलित होने लगती है और जब भी प्राणो का हमारे शरीर का बाहर निकलना होता है जब हमारे शरीर से प्राण निकलते हैं तब इन्ही प्राणो की क्षीणता के कारण और इन्ही प्राणो की नुयन्ता के कारण जब उसको पूरी तरह से नियंत्रण नहीं प्राप्त कर पाते हैं |

उस प्राण शक्ति या जीवन शक्ति पर तो प्राण हमारे शरीर को छोड़कर चले जाते हैं तो यही प्रक्रिया होती है इसलिए प्राणायाम की बहुत ही महिमा है और सभी को यह प्राणायाम करना चाहिए

प्राणायाम के फायदे | Benefits of pranayama

  • शांत मन
  • चिंताओं और चिंता को कम करता है
  • आवेग ध्यान और ध्यान केंद्रित करते हैं
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है
  • शरीर और मन को स्फूर्ति देता है
  • उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता हैं

प्राणायाम के लाभ, नुकसान व सावधानियां

आज हम जाने गे की गलत प्राणायाम करने से शरीर पर उसका क्या प्रभाव पड़ता हैं और उसको कम कैसे किया जाये और उसके दुष्परिणाम कब होते हैं आपने सुना होगा कि लोग कहते हैं प्राणायाम सुबह करें सुबह ताजी हवा होती है उसे ही कहते हैं लेकिन हम लोग क्या गलतियां करते हैं जो सबसे पहले ही गलती हमारी होती है 90% कहा गया कि कुछ लोग जो प्राणायाम करते हैं |

वह बिना शौच कर ही करने लग जाते हैं या नहीं आपका मलाशय और मूत्राशय पूरा नहीं होता है साफ तो प्राणायाम का लाभ पूरा नहीं मिलता है ये सबसे बड़ा पहला कारण है प्राणायाम में लोगों की गर्दन कमर सही आसन में ना बैठने के कारण उसका सही लाभ नहीं मिल पाता है शरीर पर ज्यादा प्रेशर देना उससे भी प्राणायाम ठीक नहीं होता है

प्राणायाम करने के लिए सबसे अच्छा दिशा निर्देश होता है कि आप का वातावरण खुला हो लेकिन कुछ लोग तो बेड पर ही प्राणायाम करने लग जाते हैं तो बेड पर बैठ कर किया गया परिणाम कभी भी शुभ नहीं होता है उसके लिए खुलादार और हवादार एरिया होना चाहिए

दोस्तों अब आप को मैं बताता हूं कुछ और कारण भी प्राणायाम करने के तुरंत बाद नहाना भी निषेध है जो लोग प्राणायाम करने के बाद नहाते हैं वह भी गलत है प्राणायाम के तुरंत बाद एकदम खाना नहीं खाना चाहिए प्राणायाम करते समय यह देखें कि आपकी नासिका पर ज्यादा प्रेशर तो नहीं पड़ रहा है

सही प्रकार से प्राणायाम ना होने से बीमारियां उल्टा उत्पन्न हो जाती हैं जिसे साइनस का प्रॉब्लम सर के दर्द का हमेशा बने रहना यह प्राणायाम सही से ना करने की वजह से होता है और प्राणायाम को तेज स्वर में बिल्कुल ना करें जो तेज गति वाली जगह है वहां पर ना करें इससे आपका माइंड डिस्ट्रेक्ट हो जाता है तो यह कुछ दिशानिर्देश है इनको आपको फॉलो करना चाहिए और आप फॉलो करेंगे तो प्राणायाम आपका ठीक हो जाएगा तो दोस्तों समझ गए होंगे सही तरीके से प्राणायाम कैसे किया जाए

प्राणायाम कैसे करें

प्राणायाम कैसे करें-दोस्तों प्राणायाम ठीक कैसे करना है वह भी तो आपको बताऊंगा प्राणायाम करने के लिए बड़ा सिंपल है खुला वातावरण हो शोर-शराबा ना हो पार्क या आप की छत हो यह आपकी बालकनी हो शरीर में कोई तनाव नहीं बिल्कुल न्यूट्रल बिल्कुल रिलैक्स और फिर आप अपनी श्वास की आने जाने की प्रक्रिया पर न्यूट्रल रुप से ध्यान दें बस इसके लिए और ज्यादा कुछ नहीं जमीन पर बैठकर प्राणायाम नहीं करना होता एक आसन पर बैठकर या प्राणायाम को करें क्योंकि जब आपका शरीर उर्जा उत्पन्न करेगा तो वह हीट ट्रांसफॉरमेशन एक मैगनेट बनाती है कुछ लोग इसी को कुंडली कहते है

कपालभाति प्राणायाम कैसे करें

  • कपालभाति प्राणायाम दिन में सुबह के समय, सूर्योदय के पहले करने पर अधिक लाभ होता है। इस प्राणायाम अभ्यास को नया नया शुरू करने वाले व्यक्ति को दो से तीन मिनट में थकान महसूस हो सकती है| परंतु एक या दो हफ्तों के अभ्यास के बाद कोई भी सामान्य व्यक्ति लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक कपालभाति प्राणायाम करनें के लिए सक्षम हो जाता है।
  • कपालभाति प्राणायाम हमेशा शुद्ध वातावरण में ही करना चाहिए। पद्मासन में बैठ कर इस आसान को करने पर अधिक लाभ होता है।
  • कपालभाति प्राणायाम करने के लिए किसी अच्छी शांत और स्वच्छ जगह का चयन करके, वहाँ पर आसन बिछा कर पद्मासन में बैठ जाए।
  • अब आगे कपालभाति प्राणायाम की शुरुआत करने के लिए श्वास सामान्य गति से शरीर के अंदर की और लेनी होती है। और तेज़ गति से बाहर निकालनी होती है। यह पूरी प्रक्रिया एक रिद्म में होनी चाहिए।
  • प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। कपालभाती में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है| साँस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किये सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें| प्रत्येक सेकंड में साँस को तेजी से बाहर छोड़ते रहे| इस हिसाब से एक मिनट में सांठ बार और कुल पाँच मिनट में तीनसौ बार आप वायु (सांस) बाहर फैंकनें की क्रिया करें। (थकान महसूस होने पर बीच बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें)।
  • शुरुआत में अगर एक मिनट में साठ बार सांस बाहर फैंकने में थकान हों, तो एक मिनट में तीस से चालीस बार सांस बाहर निकालें और अभ्यास बढ्ने के साथ साथ गति को प्रति मिनट साठ सांस तक ले जायें।
  • कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास लंबे समय तक सही तरीके से करने पर इसकी अवधि पांच मिनट से पंद्रह मिनट तक बढ़ाई जा सकती है। यानी की पांच-पांच मिनट के तीन चरण।
  • AIDS, कैंसर, एलर्जी, टीबी, हेपीटाइटस और दूसरी ऐसी जटिल बीमारी के रोगी को कपालभाति प्राणायाम दिन में तीस मिनट तक करना चाहिए। और अगर ऐसा रोगी दिन में सुबह और शाम दोनों समय कपालभाति प्राणायाम तीस तीस मिनट कर सके तो और भी बहेतर होगा।
  • स्वस्थ व्यक्ति कपालभाति प्राणायाम को प्रति दिन एक ही बार करे तो भी उसे बहुत अच्छे शारीरिक और मानसिक लाभ होता है।

प्राणायाम के प्रमुख प्रकार :

1.नाड़ीशोधन
2.भ्रस्त्रिका
3.उज्जाई
4.भ्रामरी
5.कपालभाती,
6.केवली
7.कुंभक
8.दीर्घ
9.शीतकारी
10.शीतली
11.मूर्छा
12.सूर्यभेदन
13.चंद्रभेदन
14.प्रणव
15.अग्निसार
16.उद्गीथ
17.नासाग्र
18.प्लावनी
19.शितायु (shitau) आदि।

इसके अलावा भी योग में अनेक प्रकार के प्राणायामों का वर्णन मिलता है जैसे-


1.अनुलोम-विलोम प्राणायाम
2.अग्नि प्रदीप्त प्राणायाम
3.अग्नि प्रसारण प्राणायाम
4.एकांड स्तम्भ प्राणायाम
5.सीत्कारी प्राणायाम
6.सर्वद्वारबद्व प्राणायाम
7.सर्वांग स्तम्भ प्राणायाम
8.सम्त व्याहृति प्राणायाम
9.चतुर्मुखी प्राणायाम,
10.प्रच्छर्दन प्राणायाम
11.चन्द्रभेदन प्राणायाम
12.यन्त्रगमन प्राणायाम
13.वामरेचन प्राणायाम
14.दक्षिण रेचन प्राणायाम
15.शक्ति प्रयोग प्राणायाम
16.त्रिबन्धरेचक प्राणायाम
17.कपाल भाति प्राणायाम
18.हृदय स्तम्भ प्राणायाम
19.मध्य रेचन प्राणायाम
20.त्रिबन्ध कुम्भक प्राणायाम
21.ऊर्ध्वमुख भस्त्रिका प्राणायाम
22.मुखपूरक कुम्भक प्राणायाम
23.वायुवीय कुम्भक प्राणायाम
24.वक्षस्थल रेचन प्राणायाम
25.दीर्घ श्वास-प्रश्वास प्राणायाम
26.प्राह्याभ्न्वर कुम्भक प्राणायाम
27.षन्मुखी रेचन प्राणायाम
28.कण्ठ वातउदा पूरक प्राणायाम
29.सुख प्रसारण पूरक कुम्भक प्राणायाम
30.नाड़ी शोधन प्राणायाम व नाड़ी अवरोध प्राणायाम

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